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आपदा मोचन तंत्र

प्रस्तावना

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने भारत में आपदाओं के प्रभावी, कुशल और व्या्पक प्रबंधन के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 6 के तहत आपदा मोचन प्रणाली पर दिशानिर्देश (आईआरएस) (8.96 MB) new जारी किए गए हैं। इसका उद्देश्य देश में आपदा प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत और मानकीकृत करके जान-माल के नुकसान को कम करना है।

यद्यपि भारत अतीत में आपदाओं का सफलतापूर्वक प्रबंधन करता रहा है, तथापि कई कमियां हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। आज प्रतिक्रिया को अच्छी तरह से परिकल्पित प्रतिक्रिया तंत्र के आधार पर और अधिक व्यायपक, प्रभावी, तेज और सुनियोजित होना चाहिए।

आपदा मोचन तंत्र (आईआरएस) प्रतिक्रिया तदर्थ उपायों को कम करने के लिए एक प्रभावी तंत्र है। यह सभी संभावित प्रतिक्रिया आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न वर्गों के साथ एक संयुक्त टीम की परिकल्पना करता है। आईआरएस अधिकारियों को विभिन्न कर्तव्यों को पूरा करने और उन्हें उनकी संबंधित भूमिकाओं में प्रशिक्षित करने के लिए नामित करता है। यह बेहतर नियोजन, जवाबदेही और विश्लेषण के लिए विभिन्नन गतिविधियों के उचित प्रलेखन की आवश्यकता पर भी जोर देता है। यह प्रतिक्रिया चरण के दौरान अराजकता और भ्रम को कम करने में बहुत सहायता करेगा। सभी को पता होगा कि क्याे करना है, कौन करेगा और कमान किसके हाथ में है।

आईआरएस संगठन

आईआरएस का व्यागपक संगठन निम्नाानुसार है:

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उत्तरदायी अधिकारियों (आरओ) को राज्य और जिला स्तर पर घटना मोचन प्रबंधन के समग्र प्रभारी के रूप में नामित किया गया है। उत्तरादायी अधिकारी घटना कमांडर (आईसी) को जिम्मेदारियां सौंप सकते हैं, जो आपदा मोचन टीमों (आईआरटी) के माध्यम से घटना का प्रबंधन करेंगे।

आपदा मोचन टीमों

आईआरटी एक ऐसी इकाई है जिसमें आपदा कमांडर की अध्यक्षता वाले आईआरएस संगठन के सभी पदों से होता है जैसे नीचे दिए गए आंकड़े में दर्शाया गया है। प्रचालन अनुभाग आपदा के प्रतिक्रिया में आवश्यक विभिन्न कुशल संचालनों को तैयार करने और निष्पादित करने में सहायता करता है। योजना अनुभाग सूचना प्राप्त करने और आवश्यचकता अनुसार योजना तैयार करने में सहायता करता है। लौजिस्टिक अनुभाग संसाधनों की उपलब्धुता और आवशकता का आकलन करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए कार्रवाई करता है। आईआरटी राज्या, जिला, उप-खंड और तहसील/ब्लॉ‍क स्तिरों पर कार्य करेंगे। आईआरटी को इन स्तरों पर पूर्व-नामित किया जाएगा और पूर्व चेतावनी की प्राप्ति पर संबंधित उत्ततरदायी अधिकारी उन्हेंं सक्रिय करेगा। यदि कोई चेतावनी के बिना कोई आपदा आती है तो स्थाकनी आईआरटी प्रतिक्रिया करेंगे और आवश्यकता होने पर आगे की सहायता के लिए उत्त्रदायी अधिकारी से संपर्क करेगा।

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संगठनात्मक लचीलापन

आईआरएस संगठन एक आवश्यधकता आधारित लचीला संगठन है। सभी घटकों को एक साथ सक्रिय करने की आवश्यकता नहीं है। केवल उन अनुभागों, शाखाओं और इकाइयों को सक्रिय करने की आवश्यीकता है, जो दिए गए आपदा के लिए आवश्यक होंगे। प्रत्येक सक्रिय अनुभाग, शाखा या इकाई के पास अपनी भूमिका निभाने के लिए एक प्रभारी होना चाहिए। कुछ मामलों में कर्मियों की कमी के कारण एक ही पर्यवेक्षक को एक से अधिक समूह, इकाई या अनुभाग का प्रभारी बनाया जा सकता है। संगठनात्म्क तत्वों जो अब और आवश्याकता नहीं है, को संगठन के आकार को कम करने के लिए और संसाधनों के उचित उपयोग सुनिश्चिकत करने के लिए निष्क्रिय किया जाना चाहिए।

आईआरएस प्रशिक्षण

यह आशा की गई है कि आईआरएस भारत में पसंदीदा आपदा मोचन तंत्र हो और एनडीएमए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने अधिकारियों का आईआरएस प्रशिक्षण के आयोजन में सहायता करता है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्तक अनुरोध के आधार पर एनडीएमए में एक वार्षिक प्रशिक्षण कैलेंडर तैयार किया गया है।

आईआरएस अधिसूचना

कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही आईआरएस को अधिसूचित किया है और आईआरटी बनाने के लिए कदमें उठाए गए हैं।

निर्देश

आपदा मोचन प्रणाली पर दिशानिर्देश (आईआरएस) (8.96 MB) new