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जैविक: क्या करें तथा क्या ना करें

आपदा से पूर्व

  • परिवार हेतु जैविक आपदा से निपटने की योजना बनाना।.
  • आपदा रोकने के उपायों को सुनिष्चित करके तैयारी करना:-
    • व्यक्तिगत सफाई-प्रतिदिन स्नान करें, नाखून लंबे न रखें तथा साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
    • अपने हाथों को साफ रखें (भोजन तैयार करने अथवा खाने के बाद, शौंच जाने के बाद, खांसने अथवा छींकने के बाद हाथों को साबुन अथवा पानी से धोएं) । हाथ धोने के लिए चरणवार तरीके निम्नलिखित हैं:-

      चरण 1: हथेलियों तथा अँगुलियों को धोएं।

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      चरण 2: हाथों के पिछले हिस्से को धोएं।

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        चरण 3: अँगुलियों तथा पोरों को साफ करें।

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      चरण 4: अंगूठों को धोएं।

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      चरण 5: अंगुलाग्र (फिंगरटिप्स) को धोएं।

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      चरण 6: कलाइयों को धोएं।

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    • पौष्टिक तथा संतुलित आहार लें।
    • प्रतिरक्षण प्रास्थिति (इम्युनाइजेशन स्टेटस) अद्यतन होनी चाहिए।
    • ज्यादा भीड़ इकट्ठा न करें।
    • अच्छी हवा-निकासी (वेंटिलेशन) हो।
    • ज्यादा गर्म तथा ज्यादा ठंडे मौसम से बचें।
    • स्वास्थ्य शिक्षा।
    • निगरानी/चौकसी रखें।
  • प्राथमिक चिकित्सा तथा कार्डियो-पल्मोनरी रिसस्टीकेषन (सीपीआर) प्रषिक्षण।
  • किसी चिकित्सा बीमा योजना को ले लें।

हैजा समेत अतिसारी (डायरियल) बीमारियों का समूह

क्या करें

  • अपने हाथ साफ रखें।
  • किसी सुरक्षित स्रोत से पानी पीने को बढ़ावा दें अथवा असंक्रमित पानी (क्लोरीन युक्त) पीएं। नियमित अंतराल पर समुदाय के सभी कुओं में ब्लीचिंग पाउडर डालें। यदि गांव/समुदाय में इंडिया मार्क प्प् हैण्ड पंप लगा हो तो उसी का पानी पीएं।
  • आपातस्थिति में बर्तन में उबाला गया पानी, जिसे कम-से-कम 15 मिनट तक उबाला गया हो, ही पीएं और उसे उसी दिन इस्तेमाल कर लें।
  • पानी को तंग मुंह वाले बर्तन में भरकर रखने की आदत को बढ़ावा दें।
  • खाने को अच्छी तरह पकाएं, खास तौर पर मांस, मुर्गा, अंडे तथा समुद्री खाद्य सामग्री (सीफूड) आदि को अच्छी तरह से तब तक उबाले जब तक कि उससे भाप न निकलने लगे और इसे गर्म रहते ही खा लें।
  • यह सुनिष्चित करें कि पकाया गया मांस तथा मुर्गा खाने हेतु सुरक्षित है तथा मांस का कोई हिस्सा रंगहीन नहीं है अथवा दुर्गंध न देता हो तथा अंडे का छिलका (षैल)टूटा हुआ न हो।
  • यदि खाने को तुरंत न खाया जा सकता हो, तो इसको दोबारा तब तक पकाएं जब तक कि इससे भाप न निकलने लगे।
  • खाने की चीजों को ढक कर रखें।
  • जैसे ही दस्त लगें (डायरिया हो) तुरंत ही जीवन रक्षक घोल (ओआरएस सल्यूषन) पीकर तरल पदार्थ लें। 1 लीटर पीने के पानी में 5 ग्राम नमक (एक चम्मच) तथा 20 ग्राम चीनी (4 चम्मच) मिलाकर घर में बना घोल पीएं।
  • केला खाने को बढ़ावा दें क्यांकि इसमें पोटैषियम होता है।
  • यदि बच्चा बीमार हों तो उसे उचित भोजन देते रहें तथा दूध पीने वाला छोटा बच्चा हो तो उसे लगातार दूध पिलाते रहें।
  • अतिसार (डायरिया) के मामले को निम्नलिखित स्थिति में निकटतम स्वास्थ्य सुविधा केंद्र में ले जाएं:यदि बच्चा चिड़चिड़ा, बैचेन अथवा सुस्त अथवा अचेत होः ठीक प्रकार से खाता-पीता न हो,बच्चा बार-बार प्यासा होने का लक्षण दिखाए; बच्चे को बुखार अथवा षौच में खून आता हो।

क्या न करें

  • असुरक्षित स्रोतों से पानी न पीएं।
  • बिना पकी (अनकुक्ड) खाद्य सामग्री तब तक न खाएं जब तक इसके छिलके अथवा परत को न उतारा गया हो।
  • पकाए गए खाने को कमरे के तापमान (रूम टैम्परेचर) में 2 घंटे से अधिक खुला न छोड़ें।
  • खोमचे वालों (वैन्डर्स) से कटे हुए फल खरीदकर न खाएं।
  • खुले इलाके में षौच न करें।<.li>
  • अपने घर के अहाते में चूहों तथा मक्खियों को न आने देने का इंतजाम करें।

तपेदिक, इंफ्लूएंजा, चिकन पौक्स, मेनिनजाइटिस, जैसी ष्वसन संबंधी बीमारियों का समूह।

क्या करें अथवा क्या न करें

  • ऐसे लोगों के निकट संपर्क से बचें जिन्हें सांस की बीमारी हो।
  • बीमार व्यक्ति को घर पर ही रहना चाहिए और समुदाय, विद्यालय/कार्यालय, सार्वजनिक स्थलों पर, लक्षणों के प्रकट होने के 24 घंटों तक, जाने से बचना चाहिए।
  • बीमार व्यक्तियों को घर पर अन्य लोगों से दूरी बनाकर रहना चाहिए।
  • ष्वास संबंधी स्वच्छता/खांसने का सही तरीकाः-
    • जब खांस अथवा छींक रहे हों तो अपनी नाक/मुंह को एक रुमाल/टिषू पेपर से ढक लें जिसे बाद में डस्टबिन में फेंक दें।
    • हाथों को साफ रखें (उदाहरण के लिए हाथों को दिन में कई बार साबुन तथा पानी से धोएं, अल्कोहल आधारित द्रव अथवा एंटीसेप्टिक द्रव से हाथ साफ करें) तथा सांस लेने के दौरान निकलने वाले कणों तथा संक्रमित वस्तुआंे/सामग्री के साथ संपर्क में आने के बाद नश्ट किए जाने वाले (डिस्पोजेबल) टिषू पेपर/तौलिया का उपयोग करके अपने हाथों को पूरी तरह सुखा लें।
  • .इंफ्लुएंजा के संदिग्ध/संभावित/पुश्ट मामलों वाले व्यक्तियों अथवा अपने घर पर इलाज कराने वाले ऐसे व्यक्तियों के निकट पारिवारिक सदस्यों तथा होम केयर सेटिंग्स में सहायता देने के लिए सहायक कर्मचारियों द्वारा तिहरी परत (ट्रिपल लेयर) वाले मानक तथा प्रमाणित किस्म के सर्जिकल मास्क पहने जाने चाहिए।
  • अच्छी नींद लें, चुस्त-दुरुस्त बने, अपने तनाव को कम करने का प्रयास करें, अच्छी मात्रा में तरल पदार्थ लें और पौश्टिक भोजन ग्रहण करें।
  • धूम्रपान से बचें।
  • वे व्यक्ति जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो अथवा सांस धीमे-धीमे चलती हो, को तुरंत चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए और निकट के अस्पताल में जाना चाहिए।
  • यदि बीमार व्यक्ति को समुदाय में किसी काम से जाना जरूरी हो उदाहरण के लिए चिकित्सा सहायता लेने के लिए जाना आवष्यक हो तो उसे एक फेस मास्क पहनना चाहिए अथवा एक रुमाल या टिषू पेपर को खांसी तथा छींक को रोकने के लिए मुंह ढकने हेतु उपयोग करना चाहिए ताकि समुदाय में संक्रमण फैलने का जोखिम कम हो जाए।
  • राष्ट्रीय वैष्विक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के अनुसार प्रतिरक्षण प्रास्थिति अद्यतन होनी चाहिए।

मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया, चिकन पौक्स।

क्या करें

  • “सूर्यास्त होते ही पूरी बाजू के कपडे़ पहनना तथा कमीज के बाजू नीचे कर लेने वाले   (सन डाउन स्लीव डाउन)” तरीके को अपनाएं। ऐसे कपड़े पहने जो बाजू तथा टांगों तक ढकें हों।
  • मलेरिया फैलने से रोकने के लिए जमीन तथा अन्य स्थानों पर पानी को जमा होने से रोकें।
  • पानी के बड़े बर्तनों को सप्ताह में एक बार अवष्य खाली करें।
  • कूलर के पानी को समय-समय पर बदलते रहें।
  • टैंकों को ढककर सील कर दें।
  • मच्छरदानियों विषेश तौर से कीटनाषक प्रसंस्कृत मच्छरदानियों (आईटीबीएन) का प्रयोग करें।
  • मच्छरों को दूर भगाने के लिए सोते समय मच्छर दूर करने वाली क्रीम (इनसेक्ट रिपेलेंट) षरीर पर लगाएं।
  • शरीर पर पड़े चकत्ते (रैषेज), दिमागी बैचेनी अथवा अचेतना की स्थिति में चिकित्सा सलाह लें।

क्या न करें

  • बच्चों को निक्कर तथा आधी बाजू वाले कपड़े पहनने के लिए बढ़ावा न दें।
  • पानी को इकट्ठा होने से रोकें।
  • बेकार हो गईं चीजों जैसे टायर, ट्यूब, नारियल के खाली छिलके, घरेलू वस्तुओं तथा सामान को न जमा करें क्योंकि इनमें पानी इकट्ठा हो सकता है।
  • गांव के तालाबों में न नहाएं और उसी तालाब में पषुओं को भी नहाने से रोकें।